Sharanagati
Collected words from talks of Swami TirthaAug
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इस शाम पर पधारने का आप सब को बहुत बहुत धन्यवाद,क्यूंकि इस तरह आप मुझे सेवा में जोड़ लेते हैं.अन्यथा मैं तो माया में ही डूबा रहूँ.आप मेरे मास्टर हैं,आप मेरी सहायता करते हैं ,जो कुछ भी मैंने सीखा है ,उसे याद रखने में.असल में आप को ऐसा ही करते रहना चाहिए-दूसरों को सेवा के लिए मदद करो,दूसरों की मदद करो कि वे दैविक सन्देश को याद रख सकें-किसी भी प्रकार से-किसीभी उस प्रकार से,जो तुम्हारे पास है.स्तुतिगान द्वारा,सेवा द्वारा,समस्या-समाधान या कूड़ेदान को ठोकर मारना–किसी को भक्ति से जोड़ने के बहुत से रास्ते हैं.पर किसी तरह से यदि हम अपनी और दूसरों की सहायता कर सकें ,यह याद रखने के लिए कि हम यंहा के नहीं हैं,हम एक दैविक संसार के हैं-तो यह एक दैविक सेवा है .
आत्मा एक चमत्कार है.विज्ञान की दृष्टि से,तत्व अचानक ही चेतना पैदा करने लगता है.यह जीवात्मा -विकास है,चेतना का.हम चेतना के विकास में विश्वास रखते हैं.हमें विश्वास है कि आत्मा अधिक शक्तिशाली है,इतनी अधिक कि यह पदार्थ में परिवर्तित हो सकती है.तो तत्व ,चेतना का परिणाम है.भौतिक भाग्य,भौतिक कर्म,भूतात्मा के परिणाम हैं.हरेक को इस रास्ते को पूरी तरह से पार करना है.फिर भी हमें करूनाशील होना है.
एक भक्त की संवेदना क्या है.भक्त? जैसा कि मैंने आपसे आरम्भ में कहा था : कृष्ण को याद करवाने में दूसरों कि सहायता करो.सबसे पहले हमें स्वयं ईश्वर को याद रखने की याद दिलानी चाहिए.
पहले,कुछ अभ्यास द्वारा:ही ,यह अपने आप ही आने लगता है.वास्तविक संवेदना है,दूसरों की आध्यात्मिक उन्नति में सहायता करना.कपडे को बचाना काफी नहीं है ,हमें व्यक्ति को बचाना है.यदि जीव इतना सक्षम है कि वह पदार्थ का निर्माण कर सकता है,तो हमें यह समझ में आ जाना चाहिए कि सब कुछ उसी जगह वापिस आ जाता है ,जहाँ से लिया जाता है.शरीर भौतिक है,यह तत्व से लिया गया है,यह वहीँ लौट जाएगा.आत्मा आध्यात्मिक है,ईश्वर से ली गयी है,यह ईश्वर के पास लौट जाएगी.जीवन,जीवन से आता है.और प्रेम से केवल प्रेम मिलता है!इसके सिवा कुछ नहीं!अति विशिष्ट !यदि परिणाम कुछ और भी हो तो–तो यह पवित्र प्रेम नहीं था.प्रेम, प्रेम से ही मिलता है और प्रेम से प्रेम ही आता है.यह शब्दों का मायाजाल नहीं है.गहराई से मनन करो ! अभी हाल में ही हम चर्चा कर रहे थे कि संतरे से ही संतरे का रस मिलता है.और कुछ नहीं.कैसे भी इसे निचोड़ें,कैसे भी दबाएँ-सिर्फ संतरे का ही रस निकलेगा.संतरे का रस ,संतरे से ही आता है.और संतरे से ही संतरे का रस निकलता है.
यह एक महत्वपूर्ण समीकरण है.परिणाम द्वारा हम स्रोत को समझ सकते हैं.यदि आपके ह्रदय में और अधिक आध्यात्मिक भावनाएं पैदा हो रहीं है,बढ़ रही हैं तो अभी तक आपने जो भी किया है वह अच्छा है.यह आध्यात्मिक है.यदि आप अपने ह्रदय में उलझन .असंतुष्टि ,घृणा अनुभव करते हैं तो आप को अपना अभ्यास बदल देना चाहिए.
सम्पादकीय टिप्पणी : प्रिय भक्तों !
शरणागति का यह १०८वां अंक है और हम इसे आप सब के साथ मानना चाहते हैं, आभासी संतरे के रस के ग्लास से (अदृश्य ,लेकिन न होने वाला नहीं).हम दयावान भक्तों और मित्रों के प्रति अपना आभार और प्रेम पूर्ण सम्मान प्रदर्शित करना चाहते हैं,जिन्होंने हमारे परमप्रिय गुरुदेव श्री भक्ति कमल तीर्थ महाराज के संदेश के लिप्यान्तरण,अनुवाद,संपादन,प्रकाशन,सहभागिता और वितरण में सहायता की (थी ) और कर रहे हैं.
हार्दिक प्रशंसापूर्ण धन्यवाद : : अभय चरण प्रभु ( संपादक-हंगरी -भाषा एवं संस्कृत -सलाहकार), चित्रा देवी (अनुवादक ,संपादक-हंगरी भाषा), माधव संगिनी देवी (अनुवादक -हिंदी ), मंजरी देवी (संपादन-अंग्रेजी एवं बुल्गारियन), हरी लीला देवी ( अनुवादक-रूसी भाषा), वासंती रसा देवी (अनुवादक-जर्मन भाषा) , दामोदर प्रभु (अनुवादक-रूसी भाषा), यशोदा देवी (संपादन-रूसी भाषा), कृष्णप्रिया देवी (लिप्यान्तरण एवं संपादन), डोरा सोलाइटिंग ), यमुना देवी (आशीर्वाद एवं संबल)सुकोवा (अनुवादक-युक्रेन भाषा), स्वेत्लोमिरा सोलाकोवा (अनुवादक-स्पेनिश भाषा), वेसेलिन हजिएव (संपादन-रूसी भाषा), वृन्दावनेश्वरी देवी (अनुवादक-रूसी भाषा), प्रेमा आनंदिनी देवी (अनुवादक-जर्मन भाषा), प्रेमा शक्ति देवी (अनुवादक -रूसी भाषा ), प्रेमानन्द प्रभु(संपादन-अंग्रेजी एवं बुल्गारियन ), परमानंदा प्रभु (पॉडकास्ट एवं तकनीकी सहायता ) तथा सार्वभौम प्रभु (संपादन-अंग्रेजी एवं बुल्गारियन)
सर्वदा आपके आशीर्वाद हेतु कामना करते हैं ,
आपके , सेवा के नाम पर हैं और नाम की सेवा में हैं :
पालना शक्ति दासी (तकनीकी सहायता एवं संपादन-अंग्रेजी एवं बुल्गारियन )
मनोहारी दासी (रूपांतरण एवं बुल्गारियन अनुवाद )