Sharanagati
Collected words from talks of Swami TirthaJan
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(fश्री भ.क. तीर्थ महाराज के व्याख्यान से उद्धृत , ३ सितम्बर.२००६,सोफिय)
. कृष्ण एक पैतरेबाज़ लड़का है | छलिओं में वे अत्युत्तम हैं |हम कह सकते हैं कि महानतम है|वह ईश्वरीय छली है| पर एकबार–मुझे लगता है कि मैं पहले ही आप को ये कहानी सुना चुका हूँ –इसे दोहराने के लिए मुझे क्षमा करें ,पर यह एक अच्छी कहानी है — एक बार कृष्ण की इच्छा हुई दिन मे राधा से मिलने की !और आपको पता ही है कि रात में मिलने में तो कोई परेशानी नहीं है ,सब सो रहे रहे होते हैं -कोई देख नहीं हो रहा होता है -सूरज ढलने के बाद वे जैसे भी चाहें,वे मिल सकते हैं |पर दिन के समय तो थोड़ी परेशानी है |गाँव के सारे लोग देख सकते हैं और उन्हें मना करने की कोशिश कर सकते हैं,और जैसा कि आप को पता है ,यह नैतिकता के खिलाफ है |पर कृष्ण की तो यह अत्यावश्यक इच्छा है |”मुझे उससे मिलना है,अभी,यंही और अभी “और उस क्षण एक विशेष ज्वर,एक विशेष प्रकोप उसमे जग उठा| |
कृष्ण आमतौर की तरह मित्रों,गोपालों के साथ खेल रहे थे |और तब सुदामा तुरंत समझ गए कि कृष्ण को कुछ दुःख है ,वह बदल गये हैं.”अरे कृष्ण,तुम्हें क्या हुआ?कृष्ण ने कहा,”मेरा दिल टूट जाएगा अगर मैंने राधिका को अभी नहीं देखा तो |”तब सुदामा ने कहा,”अभी?अभी में कैसे?यह तो असंभव है !”कृष्ण ने कहा,”मूर्खों की शब्द सूची में असंभव शब्द होता है !कुछ करो!उसे लेकर आओ! में मर जाऊँगा अगर उसे देखा नहीं तो |”
सुदामा एक प्यारा सा लड़का था और संयोग से उनकी शक्ल राधा सर बहुत मिलती थी |तो वे राधारानी के घर पंहुचे और उन्हें चुपके से बताया ,कृष्ण तुमसे मिलना चाहते हैं? क्या करें??”राधरानी ने कहा,”अभी?ओ,ये असंभव है|मेरे माता-पिता यहाँ हैं, हर कोई यहीं है ,में नहीं जा सकती..पर ..एक सुझाव है”तो क्यूंकि वे एक जैसे लग रहे थे,उन्होंने कपडे बदल लिए | उन्होंने एक दूसरे का वेश बना लिया,ऐसा कहा जाए .सुदामा राधरानी बन कर घर पर रह गए और राधारानी ,सुदामा के रूप में बस चलने ही वाली थी कि तभी जटिला और कुटिला ,जो हमेशा ही उनके मिलने में अड़चन डालने की कोशिश करती रहीं,वहां आगई,और उन्होंने राधा से कहा,”अरे सुदामा!तुम यहाँ ,बहुत अच्छे ,क्या हो रहा है?”तो उसे कुछ बना कर कहा ,”पता है.एक बछड़ा खो गया है और कृष्ण बहुत परेशान है,तो में कुछ मदद मांगने के लिए आया हूँ |” तो कृष्ण,गोविंदा ,एक छोटी सी गैया को ढूँढ रहे हैं ,जो झुंड से बिछड़ गयी है |जरा इसका प्रतीक समझें|उन्होंने उसे एक बछड़ा दे दिया और कहा,”ठीक है,तुम इसे ले जाओ,इस तरह कृष्ण संतुष्ट हो जाएँगे|पर हमारी राधा को परेशां न करो |वह हमारे साथ रहती है ,वह नहीं जा सकती |”
तो वह चली गयी,सुदामा का रूप धारण कर के| और जल्द ही वे कृष्ण से मिलती हैं | कृष्ण ने कहा.”ओ सुदामा!तुम राधिका को नहीं ला पाए?!”और उन्होंने कहा,”ना,ना,इस बार उन्हें लाना असंभव था “और उन्होंने कृष्ण के साथ खेल खेलना शुरू कर दिया |अगर कृष्ण खिलाडी (छली हैं) तो वे भी हैं , मेरे हिसाब से ,कभी कभी निर्दयी (निष्टुर),क्यूंकि उन्होंने एक प्रस्तवा रखा ,”पता है,मैं राधिका को तो नहीं ला पाया ,पर चन्द्रावली खाली है|”तुम्हे पता ही है,चन्द्रावलीहमेशा कृष्ण की आज्ञापालक हैं|वह हमेशा “हाँ”कहतीं है ,राधिका तो कृष्ण को “न”कहने को तैयार रहती हैं|
फिर से जरा कहानी समझने की कोशिश करें– कोई ईश्वर को “नहीं”कह देता है |हमारी धार्मिक शिक्षा के आरम्भ मैं सब बताते हैं कि हम ईश्वर को “हाँ” कहें |सही है? और अब हम उसकी चर्चा कर रहे है,और ऐसे की उपासना कर रहे हैं जो ईश्वर को “न”कह रहे हैं ! यह अद्भुत विचार है |
पर कृष्ण तो वियोग मे जैसे मर ही रहे थे और तभी सुदामा चन्द्रावली का प्रस्ताव लेकर आये ?”यह तो,उनके लिए घातक प्रहार की भांति था,आखरी आघात सम |तो वे मुश्किल से उत्तर दे पा रहे थे,पर उन्होंने कहा,”मुझे दूध चाहिए,दही मेरे लिए काफी नहीं है|”तब राधा ने अपनी दया बिखेरनी शुरू की,”अरे!तुमने मुझे पहचाना नहीं |मैं वही हूँ|”
हम सोच सकते हैं की यह एक मनोहर कहानी है |पर आप इसका विश्लेषण करें तो आप समझेंगे की भक्ति है क्या |
कोई उसे धोखा दे सके..ऐसा हो सकता है?जब वे छलिया भगवान को छल सकती है..तो मुझे लगता है कि कृष्ण अतुतम हैं ,ऐसा नहीं है ,वे हैं |कृष्ण सर्वोच्च उद्गम हैं पर उनकी उर्जा का सर्वोतम रूप उन्हीं में प्रकट होता है | उन्होंने अपना सर्वोत्तम हिस्सा ,सर्वशक्तिशाली भाग उनमें निवेश कर दिया है |और उस क्षण में,जैसे ही वे प्रकट होती हुई ,वे दास बन गए | उनकी सवतंत्रता समाप्त हो गयी |
इस तरह..यदि स्वयं कृष्ण ,राधिका को छल नहीं सकते ,तो हमें भी इसके लिए प्रयत्न नहीं करना चाहिए |हमें अच्छे भक्त बनना चाहिए क्यूंकि हम उन्हें छल नहीं सकते | वे ह्रदय को जाँच रहीं हैं क्यूंकि वे कृष्ण को भी सुरक्षित कर रहीं हैं|और जब कोई अशुद्ध भाव रखता है ,वे कृष्ण की रक्षा करेंगी,कुछ होने नहीं देंगीं |