Sharanagati

Collected words from talks of Swami Tirtha




(श्री भ.क.तीर्थ  महाराज  के व्याख्यान से , २७ मई ,२००६ , सोफिया )
यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है –एक  पवित्र भक्त के ह्रदय में क्या चल रहा है,कृष्ण के हृदय में क्या घट रहा है ?क्या हमयह  समझ सकते  हैं ?
आइए,सर्वप्रथम पवित्र भक्त के ह्रदय का परीक्षण करें | वहां  क्या घट  रहा है? दिल धड़क रहा है ,पर यह सामान्य  शारीरिक क्रिया नही है ,एक पवित्र भक्त के लिए यह ताल  “रास” की ताल है | तो एक  पवित्र भक्त के ह्रदय में क्या चल रहा है,(केवल ) कृष्ण -पूजा |वह शरीर की बाकी सभी क्रियाओं से बेपरवाह है | हो सकता है ,वह खा रहा है या सो रहा है या व्याख्यान दे रहा है या दूसरों से विचार -विमर्श कर रहा है  या जो  कुछ भी कर रहा है – उसके ह्रदय में कुछ और ही चल रहा है |यह है खरी  उन्माद  की स्थिति – एक जीवन ह्रदय में और  दूसरा ,    (जीवन) इस प्रत्यक्ष   प्लेटफोर्म पर  | अधिकतर  इस भौतिक संसार में मानसिक उन्माद  का इलाज किया जाता है ,पर इस प्रकार के उन्माद का नहीं |
और कृष्ण -ह्रदय में क्या हो रहा है ? कृष्ण के ह्रदय में हैं उनके  सबसे प्रिय सेवक – भक्त !!!
आत्मसमर्पित  आत्माएं – “वे सदैव मेरे साथ हैं और मैं सदैव उनके साथ हूँ ” और वे सर्वाधिक बहुमूल्य  वस्तुएं,जिन्हें आप अपने ह्रदय में सुरक्षित रखते हैं .जिस तरह ह्रदय  के गहन  कक्ष में रखते हैं  – उसी तरह कृष्ण भी करते हैं | वे अपने ह्रदय में , भक्तों को वश में रखते हैं ,संरक्षित करते हैं ,उनका पोषण करते हैं | जरा इस चित्र को देंखे ..उनकी मुद्रा को देंखें ..कृष्ण के   बायीं  ओर  राधा हैं | बायीं ओर क्यों ? क्योंकि ह्रदय उस ओर है |कृष्ण राधा को अपने ह्रदय के समीप रखते हैं |  “अगर वे बाहर हैं तो मेरी बायीं ओर हैं,यदि वे वहां  नहीं हैं ,तो वे शरीर के बाएँ  हिस्से में हैं – वे ह्रदय में हैं | “
अत : यह  हो रहा है कृष्ण – ह्रदय में | वे पालन-पोषण  करते हैं , अपने शुद्ध /पवित्र /निर्मल भक्तों  को – खोजते  हैं , लुभाते हैं  अतएव हमें भक्तों से अच्छा  व्यव्हार करना चाहिए | यदि आप एक भक्त को चोट पहुंचाते हैं तो आप कृष्ण -ह्रदय को वेदना  दे रहे हैं  और वे इसे सहन नहीं कर सकते |यदि आप स्वयं  कृष्ण को कष्ट दे रहे हैं ,तो वे इसे सहन कर सकते हैं ,  इस  पर वे ध्यान नहीं देते   हैं  | आप की नादानियों को सहन  करने की तो बात ही क्या है,वे  तो आप की सेवा करने तक के लिए तैयार हैं | लेकिन जब हम उन्हें, चोट पंहुचाते हैं ,जो कृष्ण के लिए अहम हैं – तब उनके लिए इसे सहन करना मुश्किल हो जाता है | यही आप के साथ होता है | लोग आपको चोट पंहुचा सकते हैं,आक्षेप लगा सकते हैं ,पर जब वे आपके प्रियजन पर  हमला करते हैं ,तब आप भी काट डालते हैं |


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